शुक्रवार, 13 जनवरी 2017

समाजिक क्षेत्र में कार्य करने वालों की आलोचना होने से निखार आता है- प्रताप सिंह


छतरपुर । कथनी करनी भिन्न जहां है धर्म नही पाखंड वहां है ।  लेकिन बर्तमान समाज में भी ऐसे कुछ लोग है जो अपनी कथनी को ही अपना जीवन का अंतिम सत्य मानते है । बर्तमान में बिना दहेज अपने  बेटे का विवाह करना एक हंसी -मजाक ही लगता है, लेकिन मध्य प्रदेष  के छतरपुर जिला के कस्बा नौगॉव में रहने वाले सामाजिक कार्यकर्ता समाजसेवी श्री संतोष  गंगेले ने बर्तमान समय में अपने उच्च षिक्षा प्राप्त  षिक्षित योग्य बेटे का विवाह एक सामान्य साधारण  ब्राम्हण  परिवार की षिक्षित बेटी से बिना दहेज किया साथ ही  कन्या के पिता के दायित्व की तरह विवाह कर समाज को नई दिषा, ब्राहम्ण  समाज में नजीर प्रस्तुत की है । लगातार समाजिक सेवा के क्षेत्र में अपना  जीवन समर्पित करने वाले ऐसे कर्मयोगी श्री संतोष गंगेले की जीवनी पर भी प्रकाष डाला जाना आवष्यक है । सफलता की राह कर्मयोगी व्यक्ति अपनी मेहनत से ही बदलते है । उपरोक्त विचार स्वतंत्रता संग्राम सैनानी संघ छतरपुर के जिला अध्यक्ष श्री रामकृपाल चौरसिया जी ने उन्हे 60 बर्ष पूर्ण होने पर आषीर्वाद सहित कहें । छतरपुर जिला के 98 बर्षीय बरिष्ठ स्वतंत्रता संग्राम सैनानी पूर्व विधायक श्री प्रताप सिंह उर्फ नन्हे राजा ने कहा कि नौगॉव के गौरव सामाजिक कार्यकर्ता श्री संतोष गंगेले नेक इंसान है, इन्हेाने अपना जीवन सामाजिक क्षेत्र में समर्पित कर कार्य किया है । यदि ऐसे सामाजिक कार्यकर्ता की समाज विरोधी लोग आलोचना करते है तो मेरी समझ में सामाजिक क्षेत्र में कार्य करने वाली की  आलोचना से उनके अंदर अत्याधिक निखार आता है । कर्मयोगी व्यक्ति आलोचनाओं का स्वागत करते है ।

    कर्मयोगी श्री संतोष गंगेले का जीवन परिचय

मध्य प्रदेष   बुन्देलखण्ड का हृदय स्थल नौगॉव कस्बा  मध्य भारत की  राजधानी के नाम से पहचान बनाये हुऐ है । बुन्देलखण्ड की वीरगाथायें तरह-तरह से इतिहास को पन्नों में समेटा गया है । लेकिन बर्तमान इस भौतिकवादी युग में निः स्वार्थ भाव से सामाजिक क्षेत्र में कार्य करने वाले बुन्देलखण्ड के कर्मयोगी, सामाजिक कार्यकर्ता श्री संतोष गंगेले को आम जनता अपने हृदय में स्थान कितना देती यह तो नही कहा जा सकता है ।  लेकिन यह बात समाज के बीच रखना आवष्यक है कि मध्य प्रदेष के छतरपुर जिला के कस्बा नौगॉव  से लगा छोटे से ग्राम बीरपुरा में 11 दिसम्बर 1956 को एक जुझौतिया ब्राम्हण किसान संत परिवार में जिस बालक का जन्म हुआ उसका नाम संतोष कुमार रखा ।  इस बालक का नाम संस्कार उनकी दादी श्रीमती फुलाबाई ने दिया था । बालक के पिता पं0 श्री प्यारे लाल गंगेले जो कि हरिहर बावा के नाम से पहचाने जाते थें तथा माता श्रीमती सुमित्रा देवी गंगेले जो कि एक साधारण गृहणी थी । चार भाई एक बहन के साथ श्री संतोष कुमार गंगेले की कक्षा 5 तक की षिक्षा ग्राम बीरपुरा में ही हुई । बर्ष 1967 में कक्षा 6 में प्रवेष हायर सकेण्ड्री स्कूल नौगॉव  में हुआ लेकिन आर्थिक आभाव एवं निर्धता के कारण षिक्षा में दो बर्ष  पिछड़ जाने से संस्था से पढ़ना छोड़ कर मेहनत मजदूरी कर परिवार का भरण पोषण आवष्यक था ।

               कर्मयोगी श्री संतोष गंगेले बिलक्षण प्रतिभा के धनी मेहनती, परिश्रमी, होने के कारण उन्होने अपने परिवार के संचालन की जुम्मेदारी का निर्वाहन करते हुए पुनः 1971 में षिक्षा अध्ययन करने का संकल्प दोहराया जिसमें ग्राम मऊ सहानिया के एक व्यापारी श्री लक्ष्मी चन्द्र जैन ने मानवता का परिचय देकर किराना दुकान के कार्य के साथ साथ अध्ययन की सुविधा प्रदान कराई जिससे 1974 में माध्यमिक ष्षाला से 8 वीं उत्तीर्ण कर । परिवार की उन्न्ति एवं पालन पोषण का कार्य किया । दो साल एमईएस आर्मी में नौकरी करने के बाद मजदूरी करने दिल्ली चले गये । एक साल तक दिल्ली में मजदूरी करने के बाद हायर सेकेण्ड्री की प्रावइेट परीक्षा की तैयारी करने नौगॉव में चाय पान की गुमटी दुकान खोली । कुछ मित्रों में श्री अनिल जैन ने पढ़ाई में सहयोग किया । इसी समय हिन्दी टंकण प्रषिक्षण भी लिया जिसमें सफलता मिली । क्षय चिकित्सालय चौहारा नौगॉव पर चाय-पान की  गुमटी से अपना व्यापार किया परिवार का भरण पोषण स्वयं की षिक्षा और अपने छोटे भाई बहन की षिक्षा एवं उनके पालन पोषण पर बिषेष ध्यान देते हुऐ  हायर सेकेण्ड्री के बाद बापू महाविद्यालय नौगॉव में बर्ष 1980 में प्रवेष लिया । इसी दौरान कौमी एकता, सामाजिक समरसता एवं देष प्रेम के भावना से मंचों पर नाटक एवं छोटी-छोटी कविताओं को लिखा । महाविद्यालय में कुछ दोस्तों से विवाद हो जाने के कारण महाविद्यालय के दूसरी बर्ष प्रवेष नही मिलने के कारण नौगॉव न्यायालय में पं0 श्री गोविन्द तिवारी अधिबक्ता के साथ अर्जी नवीसी का कार्य ष्षुरू किया तथा अध्ययन एवं सामाजिक क्षेत्र में पत्रकारिता से जुड़ जाने के साथ क्षेत्र में ख्याती प्राप्त होने लगी । जिस कारण छतरपुर जिला कलेक्टर श्री होषियार सिंह ने उन्हे तहसील में लेखक के रूप में अनुज्ञप्ति 3/83 जारी कर जन सेवक बना दिया ।  इस बिषम परिस्थितियों के बाद भी बी0ए0 की षिक्षा उत्तीर्ण करने में सफलता हासिल की । निर्धरता एवं संघर्ष के साथ षिक्षा के क्षेत्र में सामाजिक विकास करने के लिए वह नजीर बनकर उभरे है ।

            कर्मयोगी  श्री संतोष गंगेले की मधुरवाणी प्रेम के साथ मानरवता एवं परोपकार जीवन से नौगॉव जनपद क्षेत्र में जन सम्पर्क बढ़ गया । माता-पिता भारत भ्रमण पर जाने के साथ घर-परिवार की जुम्मेदारी मुखिया के रूप में बढ़ने के कारण बर्ष 1984 में सीमावर्ती जगतपुर उर्फ गढ़िया के पं0 श्री गुमान बिहारी व्दिवेव्दी की पुत्री कु0 प्रभा देवी से विवाह संस्कार महाषिव रात्रि के दिन हो गया ।  प्रदेष सरकार के जन सम्पर्क विभाग छतरपुर में श्री जी0 एल0 सौनाने साहब ने सरकारी योजना के तहत गंगेले टाईपिंग सेन्टर के लिए धनराषि प्रदान कराकर परिवार के विकास में सहयोग किया । नौगॉव तहसील में 1 मई 1984 में पंजीयन विभाग कार्यालय स्थापित होने पर दस्तावेज लेखक के रूप में कार्य करने एवं  मध्य प्रदेष सरकार की जन कल्याणकारी योजनाओं के प्रचार-प्रचार एवं निर्वाचन में जन जागरूकता को लेकर विजावर विधान सभा एवं महाराजपुन विधान सभा क्षेत्र में जन सम्पर्क किया । बर्ष 1986 में नगर पालिका नौगॉव में एक विषाल पत्रकार सम्मेलन कराया जिससें स्थानीय प्रषासनिक अधिकारी एंव जिला जज न्यायाधीष भी आमंत्रित किए गए ।

              क्षेत्र में विकास की ओर बढ़ने पर विरोधिओं ने अपना माया-जाल बिछाकर कानूनी रूप से परेषान किया तथा समाचार पत्रों के जरिये बदनाम करना चाहा लेकिन ईमानदारी एंव निष्पक्ष न्याय के सामने विरोधी टिक नही सके ।  कर्मयोगी श्री संतोष गंगेले लगातार अपनी सफलताओं की ओर बढ़ते हुए अपने कर्मो से भाग्य को बदलने में एक जुटता के साथ अकेले ही लगे रहे । अपने निजी व्यापार एवं व्यवसाय के साथ साथ सामाजिक समरसता एवं जन जाग्रति अभियान के कारण अत्याधिक लोकप्रिय ईमानदारी एंव निष्पक्ष पत्रकार समाजसेवी गिने जाने लगे । अनेक सामाजिक संगठनों से जुड़े होने के कारण बर्ष 1990 में जनपद अध्यक्ष के चुनाव में जनता के बीच गये लेकिन पंचायती राज्य चुनाव अचानक निरस्त होने के कारण वह राजनेता बनने से रूक गए । जीवन में कभी कोई नषा नही किया है, उनके जीवन में कोई दुष्मन नही रहा जिससे उनका जान माल का खतरा उत्पन्न हुआ हो ।

              कर्मयोगी श्री संतोष गंगेले की लोक प्रियता एवं समाजसेवा से घृणा करने वालों ने उन्हे अनेक झूठें मामलों में बदनाम करने के लिए कानूनी सहारा लिया लेकिन न्यायालय ने अपनी न्यायप्रियता एवं निष्पक्षता के कारण उन पर लगाये आरोपों को खारिज कर बेदाग किया । जिला एंव  प्रदेष स्तर के पत्रकारों से लगातार सम्पर्क होने के कारण उनकी पत्रकारिता प्रदेष स्तर तक सीमित न रहकर उनके लेख एवं समाचार दिल्ली से प्रकाषित समाचार पत्रों में भी प्रकाषित हुए । एक सफलत कवि, साहित्यकार, पत्रकार के साथ साथ उन्होने भारतीय संस्कृति एवं संस्कारों के बचाने केलिए कहानी संग्रह एवं नाटक स्वयं लिखकर उनका मंचों पर मंचन भी किया ।  हम भूल गये अपने दायित्व पुस्तक को लिखा लेकिन इलेक्ट्रानिक युग इंटरनेट मीडिया के प्रवेष के कारण उनकी पुस्तक का प्रकाषन अधूरा रह गया । अनेक संघर्षो के बीच जीवन संचालित करने वाले कर्मयोगी श्री संतोष गंगेले की धर्मपत्नी श्रीमती प्रभादेवी का अचानक 1993 में निधन हो जाने के बाद उनके चारों संतान के पालन पोषण का दायित्व अधर में देख उन्होने अपनी दूसरी  शादी 14 दिसम्बर 1993 में नौगॉव से 16 किमी दूर ग्राम झीझन में  एक निर्धन गरीव  ब्राम्हण परिवार में इस ष्षर्त पर कर ली कि उनकी पत्नि पूर्व पत्नी के चारों पुत्रों की मॉ बनकर रहेगी । यह रिष्ता पूरा होने पर सौतेली मॉ के कंलक को श्रीमती रंजना देवी ने मिटाकर समाज को एक नया संदेष दिया । कर्मयोगी श्री संतोष गंगेेलेे ने पिता जी , माता जी के निधन के बाद भाईयों को बराबरी पर लाने के लिए पूरा सहयोग देकर समाज में अपनी उत्तम छवि बनाई । आज नौगॉव सहित प्रदेष के एक चरित्रवान , ईमानदारी एवं कर्मठ पत्रकारिता के रूप में पहचान बनाकर राजनैतिक, प्रषासनिक, सामाजिक क्षेत्र में प्रत्येक प्रकार से जनता की समस्याओं को हल कराने में सफल है । उनकी करनी एवं कथनी में अंतर न होने के कारण  सांसद, विधायक, नगर पालिका, जनपद से जुड़े जनप्रतिनियों के व्दारा उनका सामाजिक कार्यकर्ता के साथ सम्मान किया जाता है ।

                  बरिष्ठ पत्रकार कर्मयोगी श्री संतोष गंगेले की योग्यता , कर्मठता, निष्ठा, समर्पण, त्याग एवं सामाजिक सेवा भावना के कारण उन्होने भारतीय संस्कृति एंव संस्कारों की रक्षा के लिए सोषल मीडिया से जुड़कर प्रदेष और देष के  ख्याती प्राप्त पत्रकारों, समाजसेवीओं के बीच षिक्षा, स्वास्थ्य, स्वच्छता, समाजिक समरसता एव समाज के बीच कार्य करने का सकल्प लिया जिसके लिए वह बर्ष 2007 से लगातार जिला में गॉव -गॉव सरकारी गैर सरकारी षिक्षण संस्थाओं में पहुॅच रहे है ।  छात्र/ छात्राओं में भारतीय संस्कृति एंव सस्कारों को जागने के लिए वह अपने निजी बाहन, निजी आर्थिक धन से बच्चों को प्रोत्साहित एवं सम्मानित करते आ रहे है । स्वतंत्रता संग्राम सैनानियों, षिक्षकों, ईमानदार कर्तव्य निष्ठा के साथ सामाजिक कार्य करने वालों को मंच पर सम्मान देना उनकी दिनचर्या बन नही है इसी कारण  1 जलाई  2016 से उन्होने अपनी जन्म भूमि बीरुपरा ग्राम पंचायत ठठेवरा ष्षा0 मा0षा0 से  उन्होने बेटी बचाओं- बेटी पढ़ओं, स्वच्छत भारत अभियान को अपने जन अभियान का हिस्सा बनाकर प्रदेष स्तर पर कार्य करने में लगे है ।

             भोपाल के बरिष्ठ पत्रकार श्री दीपक तिवारी जी श्री पवन देवलिया जी के संरक्षण में राज्य स्तर पर अपनी पत्रकारिता की पहचान बना चुके है । मध्य प्रदेष के लगभग 40 जिलों में भ्रमण कर सरकार की जन कल्याणकारी योजनाओं को अपने अभियान में ष्षामिलकर जनता के बीच रखते है । उनके जीवन में न काहू से दोस्ती न काहू से बैर के विचारों के साथ वह सामाजिक कार्य में लगे रहते है । बर्तमान प्रिंट मीडिया या इलेक्ट्रानिक मीडिया उनके चरित्र और जीवन पर क्या क्या चिंतन या विचार करती है यह उनके सोचने का बिषय है ।  समाज में सामाजिक सरोकारों के समाचार मीडियों को परोसना चाहिए लेकिन ऐसे सामाजिक कार्यकर्ता के विचारों को कम ही स्थान मिल रहा है यह भी एक चिंता का सोचनीय बिषय हो सकता है ।

               बुन्देलखण्ड के कर्मयोगी श्री संतोष गंगेले मध्य प्रदेष के ऑचलिक पत्रकार संघ, मध्य प्रदेष श्रमजीवी पत्रकार, बुन्देलखण्ड प्रेस क्लब संगठन हरिहर किसान मजदूर जन ष्षक्ति संगठन , अखिल भारतीय बुन्देलखण्ड विकास मंच, मध्य प्रदेष मानव अधिकार परिषद, अखिल भारतीय उपभोक्ता उत्थान संगठन, मानव अधिकार रक्षा एवं संवर्धन , दस्तावेज लेखक संघ आदि संगठनों से जुड़े रहे । बर्तमान में गणेषषंकर विद्यार्थी प्रेस क्लब मध्य प्रदेष के संस्थापक प्रान्तीय अध्यक्ष एवं गणेषषंकर समाचार सेवा डॉट इनके  संपादक है । 25 दिसम्बर 2016 को अखिल भारतीय सर्वधर्म मानव सेवा संगठन का नया बैनर तैयार किया है । वह अनेक समाचार पत्रों न्यूज पोर्टलों से जुड़कर समाजसेवा करते आ रहे है ।

                बरिष्ठ पत्रकार कर्मयोगी  श्री संतोष गंगेले ने अपनी संतान बेटा/ बेटियों को अपनी सामर्थ के अनुसार अध्ययन कराया तथा बिना दहेज अपने बेटा का विवाह कर ब्राम्हण समाज को प्रेरित करने का प्रयास किया है कि दहेज समाज का कंलक  है । वह अपने जीवन के 11 दिसम्बर 2016 को 60 बर्ष पूर्ण कर बरिष्ठ नागरिक की श्रेणी में आ चुके है ।  छतरपुर जिला सहित प्रदेष एवं देष के पत्रकारण जगत को उनकी जीवन एंव कर्मयोग से प्रेरणा लेकर यह तय करना चाहिए कि समाज के लिए पत्रकार क्या क्या कर सकता है । अपने लिए तो बहुत से जीते है लेकिन दूसरों के लिए जीने बाले कम होते है । समाज सुधार के संकल्प को लेकर अंत समय तक सामाजिक कार्य करने में लगे है ।
         


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