मंगलवार, 25 अप्रैल 2017

बाबरी विध्वंस मामले में वेदान्ती का दावा झूठ : पवन पाण्डेय

शिवसेना के पूर्व प्रदेश प्रमुख ने कहा- मीरबाकी के पत्थर का दो टुकड़ा सीबीआइ और एक मेरे पास

नई दिल्ली। बाबरी विध्वंस मामले में जिस तरह से लालकृष्ण आडवाणी, उमा भारती, मुरली मनोहर जोशी समेत 13 लोगों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ने आपराधिक षड़यंत्र का मामला चलाने का निर्देश दिया है उसने एक बार फिर से इस मुद्दे को धार दे दी है। लेकिन इस मामले में अब एक बड़ा दावा आरोपी पवन पाण्डेय ने किया है, उन्होंने दावा किया है कि बाबरी ढांचे को बेहद ही योजनाबद्ध तरीके से गिराया गया था।
बाबरी विध्वंस मामले में मुख्य आरोपी पवन पाण्डेय का कहना है कि बाबरी ढांचे को गिराने के लिए कल्याण सिंह के मुख्यमंत्री बनने का बाद से ही इसकी तैयारी शुरु कर दी गई थी। यही नहीं 6 दिसंब की योजना को बनाने के लिए बकायदा 5 दिसंबर को एक बैठक बुलाई गई थी, जिसमें आडवाणी, उमा भारती, अशोक सिंघल जैसे बड़े नेता मौजूद थे। उन्होंने दावा किया है कि तमाम नेताओं को बाबरी मस्जिद को गिराने की योजना की जानकारी थी।
पाण्डेय का कहना है कि इस बैठक में दो मत सामने आए थे एक पक्ष बाबरी को गिराने के पक्ष में था जबकि दूसरा पक्ष इसके खिलाफ था। वहीं इस प्रकरण में जिस तरह से वेदांती महाराज ने अपना बयान दिया है उसपर पवन पाण्डेय ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि वेदांती झूठ बोल रहे हैं, जिस वक्त ढांचा गिराया गया था वह वहां पर मौजूद नहीं थे, ऐसे में उनका दावा गलत है।
गौरतलब है कि जिस वक्त बाबरी मस्जिद का ढांचा गिराया गया था पवन पाण्डेय शिवसेना के नेता थे, वह तत्समय अविभाजित फैजाबाद जनपद के अकबरपुर विधानसभा क्षेत्र से विधायक भी रह चुके हैं। उन्होंने दावा किया है कि कारसेवकों को बाबरी गिराने के लिए बकायदा ट्रेनिंग दी गई थी, उन्हें यह सब विस्तार से बताया गया था कि कैसे मस्जिद को तोड़ना है, इसके लिए दो जिलों से सैकड़ों कारसेवकों को बुलाया गया था और उन्हें पत्थर से मस्जिद को तोड़ने की ट्रेनिंग दी गई थी।
हालांकि पवन पाण्डेय ने यह सारे बयान एक टीवी चैनल को दिया है, लेकिन उन्होंने यह सभी दावे कोर्ट में नहीं किए हैं और ना ही इस तरह का कोई बयान कोर्ट के सामने रखा है, अभी तक पवन पाण्डेय का कोर्ट में बयान दर्ज नहीं हुआ है। लेकिन उन्होंने दावा किया है कि वह अपने बयान पर कोर्ट में भी कायम रहेंगे। उन्होंने यह भी दावा किया है कि उन्होंने मीर बाकी का भी पत्थर तोड़ा है जिसका एक हिस्सा उनके पास तो दो हिस्से सीबीआई के पास है।

पवन पाण्डेय का परिचय- 

बाबरी ध्वंस मामले के मुख्य आरोपियों में एक पवन पाण्डेय उत्तर प्रदेश के अम्बेडकरनगर जिला मुख्यालयी शहर नपाप अकबरपुर के वार्ड संख्या- 3 स्थित कोटवा महमदपुर मोहल्ले के निवासी हैं। इनके पिता स्व. जगमोहन पाण्डेय एक लब्ध/प्रतिष्ठ जमींदार थे। स्व. पाण्डेय के चार पुत्र सन्तानों में पवन पाण्डेय तीसरे नम्बर पर हैं। पवन पाण्डेय ने शिवसेना ज्वाइन करने के उपरान्त चुनाव लड़ा और वर्ष 1991 में युवा हृदय सम्राट जैसी लोकप्रियता हासिल कर अकबरपुर से सूबे की पंचायत में प्रथम बार शिवसेना का परचम लहराया। जीवन की अर्धशतकीय पारी खेल चुके पवन पाण्डेय ने लगभग 3 दशक से अपना जीवन समाजसेवा और राजनीति में लगा रखा है। यहाँ बताना जरूरी है पवन पाण्डेय का युवा क्रेज अब भी बरकरार है। इनके बारे में कुछ और बातें बताना आवश्यक है जो इस प्रकार है-
इन्होंने अपना राजनैतिक सफर शिवसेना जैसे कट्टर हिन्दूवादी पार्टी से शुरू किया और ये शिवसेना के संस्थापक हिन्दू हृदय सम्राट स्व. बालठाकरे के काफी करीब रहे।
वर्ष 1989 में लालकृष्ण आडवाणी द्वारा देशभर में चलाई गई रामरथ यात्रा में शामिल पवन पाण्डेय काफी सक्रिय रहे। अयोध्या आन्दोलन को सफल बनाने में अपनी सक्रिय भागीदारी की। पाण्डेय राम जन्मभूमि न्यास अध्यक्ष रामचन्द्र परमहंस के करीबी रहे।
वर्ष 1990 में उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार थी और सी.एम. मुलायम सिंह यादव थे उस समय अयोध्या में श्रीराम मन्दिर निर्माण में शामिल कारसेवकों पर फायरिंग हुई थी, जिसमें दर्जनों कारसेवकों की मौत हो गई थी, पवन पाण्डेय बाल-बाल बच गए थे। आर.जे.बी. ट्रस्ट के अध्यक्ष रामचन्द्र परमहंस के नेतृत्व में चलाए गए अयोध्या आन्दोलन में लगभग डेढ़ दर्जन बार जेल यात्रा भी कर चुके हैं।
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